राजकमल कलामंदिर वाक्य
उच्चारण: [ raajekmel kelaamendir ]
उदाहरण वाक्य
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- १९६१ में राजकमल कलामंदिर के बैनर तले निर्मित वी.
- 1942 में उन्होंने बंबई में राजकमल कलामंदिर की स्थापना की।
- 1942 में उन्होंने बंबई में राजकमल कलामंदिर की स्थापना की।
- ये तीन कंपनियां थीं-राजकमल कलामंदिर, फिल्मिस्तान स्टूडियो और बसंत पिक्चर्स।
- १ ९ ६ १ में राजकमल कलामंदिर के बैनर तले निर्मित वी.
- वीशांताराम का मंदिर कहा जानेवाला स्टूडियो राजकमल कलामंदिर भी अब अस्तित्व में नहीं है.
- इसके बाद वो प्रभात छोड़ कर अपनी निजी फ़िल्म कंपनी ' राजकमल कलामंदिर ' का निर्माण किया।
- वर्ष 1942 में प्रभात कंपनी के पार्टनर अलग हो गए और शांताराम ने उसी वर्ष राजकमल कलामंदिर की स्थापना की।
- फिल्मों का सवाक युग आने के बाद पुनः शकुन्तला का निर्माण क्रमशः मदन थ्येटर्स (1931), सरोज मूवीटोन (1931) और राजकमल कलामंदिर (1943) द्वारा किया गया।
- हुआ युं था कि यह गीत किसी रिकॉर्डिंग स्टुडिओ में नहीं बल्कि ' राजकमल कलामंदिर ' में रेकॊर्ड किया जा रहा था, जो एक फ़िल्म स्टुडिओ था।
- प्रभात से निकल कर और अपनी निजी बैनर ' राजकमल कलामंदिर ' की स्थापना कर वी. शांताराम ने इस साल बनाई फ़िल्म ' शकुंतला ', जिसके गीत संगीत ने भी काफ़ी धूम मचाया।
- ' पड़ोसी ' के बाद वी. शान्ताराम ' प्रभात ' से अलग हो गए और अपनी निजी कंपनी ' राजकमल कलामंदिर ' की स्थापना की और अपने आप को पुणे से मुंबई में स्थानांतरित कर लिया।
- ' राजकमल कलामंदिर ' की स्थापना के समय वी. शांताराम ने वसंत देसाई को, जो उस समय ' प्रभात ' में उनके साथ कई विभागों में काम किया करते थे, उन्हें अपने साथ बम्बई ले आये और बतौर संगीतकार उन्हें मौका दे दिया ' शकुंतला ' में।
- इसलिए जब उन्होंने प्रभात छोड्कर अपने ' बैनर ' राजकमल कलामंदिर की नीव रखी तो वो अपने साथ वसंत देसाई को भी ले आए. “ दहेज ”, “ झनक झनक पायल बाजे ”, “ तूफान और दीया ”, और “ दो आँखें बारह हाथ ” जैसी चर्चित फिल्मों में संगीत देने के बाद वसंत देसाई ने राजकमल कलामंदिर की फिल्म “ मौसी ” में संगीत दिया था सन 1958 में.
- इसलिए जब उन्होंने प्रभात छोड्कर अपने ' बैनर ' राजकमल कलामंदिर की नीव रखी तो वो अपने साथ वसंत देसाई को भी ले आए. “ दहेज ”, “ झनक झनक पायल बाजे ”, “ तूफान और दीया ”, और “ दो आँखें बारह हाथ ” जैसी चर्चित फिल्मों में संगीत देने के बाद वसंत देसाई ने राजकमल कलामंदिर की फिल्म “ मौसी ” में संगीत दिया था सन 1958 में.
- प्रभात फिल्म कंपनी के बैनर में ‘जलती निशानी ', ‘सैरंध्री', ‘अमृत मंथन', ‘धर्मात्मा', ‘अमर ज्योति', के अलावा ‘दुनिया न माने', ‘आदमी' और ‘पड़ोसी' जैसी सोद्देश्य फिल्में देने के बाद उन्होंने राजकमल कलामंदिर के बैनर तले ‘शकुंतला', ‘माली', ‘पर्वत पर अपना डेरा', ‘डाक्टर कोटणीस की अमर कहानी', ‘मतवाला शायर', ‘अंधों की दुनिया', ‘बनवासी', ‘भूल', ‘अपना देश', ‘दहेज', ‘परछाईं', ‘अमर भोपाली', ‘सुंरग', ‘सुबह का तारा', ‘झनक झनक पायल बाजे', ‘तूफान और दिया', ‘दो आंखें और बारह हाथ', ‘नवरग', ‘फूल और कलियां', ‘स्त्री', ‘सेहरा', ‘गीत गाया पत्थरों ने', ‘लड़की सहयाद्री की',‘बूंद जो बन गयी मोती', ‘जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली' बनायी।
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